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Thursday, September 22, 2011

मा

मैं अपने घर में तनहा नहीं रहता
मेरे साथ मेरी माँ की दुआएं होती है
जब दिन की मुशक्कत से थक कर
मैं शाम को घर लौटता हूँ
तो उनके सायों में मुझे सुकून मिलता है
देर रात तक
मेरे बिस्तर के किनारे बैठके वो
मुझे सोते हुए देखती है
सुबह को उठाकर मुझे
प्यार से वो
नयी उम्मीदों से मुझे वो जोडती है

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