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Saturday, September 24, 2011

दिल की फरियाद के ख़त

खून
से
लिखे
थे
ख़त
वो दिल
की फरियाद
के
तड़पता था दिल
वो मेरा तेरी ही याद
में
वस्ल में रही तमन्ना तेरे ही दीदार
की जब हुआ दीदार तो वो घडी थी बहार
की वो बहार भी है रुक गई , वो बयार
भी है मिट गयी इन आँधियों से की है नारद
उम्मीद क्यूँ तुने प्यार की कांटो से उलझ
कर घाव ही मिल पता है बेवजह
ही शिराओं से लहू छलक जाता है इश्क करने
की "नारद" यही एक कहानी है लोग कहते
है की इश्क जिंदगानी है पर माना है मैंने
बस यही* एक बेगानी है *बस
जिंदगी ही बेगानी है "ना...

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